Thursday, 8 September 2016

OH14 घर घर गणेश !

OH में आजकल गणेश की धूम है. सोसाइटी के लॉन्स में गणेश विद्यमान हैं. फिर घर घर में भी आ बैठें हैं. बहुत ही शौक़ से लोगों ने इन्हें अपने सर आँखों पर बैठाया  है. आईये आप को OH की रचनात्मकता से रूबरू करवाती हूँ. ख़ुशी की बात यह है कि अधिकतर लोगों ने इको-फ्रेंडली यानी मिटटी के गणेश जी स्थापित किये हैं. देर से ही सही, अब समाज में अपने पर्यावरण के बारे में जागरूकता आ रही है. यूँ, अभी भी काफी लोग यह समझते हैं की POP के गणेश भी सही हैं, क्योंकि यह भी पानी में घुल तो जाते है हैं. पर यह नहीं समझ पाते की आप अपने कुछ सैंकड़ों या हज़ारों रुपए बचाने के चक्कर में अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए लाखों का स्वास्थ्य का बिल  बढ़ा के जा रहे हैं. एक तरह से पर्यावरण का बलात्कार करने से हम अपने आगे आने वाली पीढ़ियों को आशिर्वाद में भयंकर बीमारियां दे कर जा रहीं हैं.
इको - फ्रेंडली मूर्तियां पहचानना कोई मुश्किल नहीं. मिटटी POP जितनी सूक्षम नहीं होती, इसलिए मिटटी के गणेश की कारीगरी  बहुत  सूक्षम नहीं होती. ज़रा सा ध्यान से देखते ही आप पहचान पाएंगे कि आप के भगवान् की प्रतिमा आपके बच्चों को अच्छी सेहत का आशिर्वाद देगी या नहीं.
आईये देखें OH में स्थापित कुछ गणेश प्रतिमाएं   :
                                                                               
वर्षा के हाथों का कमाल देखिये. गणपति भी स्वयं बनाये और उन्हें अपनी कल्पना से कितना सुंदर बनाया.
 राधा ने स्वयं अपने गणेश मिटटी से बनाये. ->



रूपाली, कविता और लविशा के गणेश.
चॉकलेट के गणेश भी आये OH  में. नेहा ने अपने छोटे बेटे के लिए चॉकलेट के गणेश बनवाये.विसर्जन भी किया दूध में. फिर  चॉकलेट वाला दूध बच्चों को पिलाया.
घर में इको फ्रेंडली गणेश का विसर्जन आम तौर से लोग घर में ही एक बाल्टी में कर देते हैं.. फिर उस पानी को गमलों में डाल देते हैं  इस तरह सार्वजनिक पानी स्त्रोतों की स्वछता भी बनी रहती है. और फिर ढोली आदि के द्वारा ध्वनि प्रदुषण से भी बचाव होता है. 

सोसाइटी के गणेश और बाकी गतिविधियों के बारे में अगली पोस्ट में!
तब तक के लिए विदा.
पढ़ने के लिए धन्यवाद.




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